सुरुआती लकछन के पता लगाना अउ तुरते इलाज सुरु करवाना काबर जरुरी हे?
कोढ़ के बीमारी के सुरुआती लकछन परभावित इलाका के चमड़ी के पिंवरा या फेर लाल हो जाना हे, ए मेर के इलाका सुन्न घलोक हो सकत हे। अगर आपमन एखर सुरुआती लकछन के पता लगा लेहु, तो ए बीमारी के इलाज करे जा सकत हे, अउ तहां ले धीर-धीर ये हर ठीक हो सकत हे।
अगर एखर इलाज नइ कराए जाही त, आगु चल के बीमारी अउ बढ़ जाही अउ दाग-धब्बा के आकार हर बढ़ जाही। संगे-संग चमड़ी के तरी के नस हर मोटहा हो जाही अउ फेर तंत्रिका छति के कारन ओ मेर के इलाका सुन्न हो सकत हे। मतलब के परभावित इलाका म चोट लगही तभो कोनो पीरा नइ होही। एक कारन परभावित मनखे हर परभावित इलाका ल कटे-जले, घाव अउ कांटा ले नइ बचा पाए। अइसन म परभावित मनखे अइसन चोट ल नजरअंदाज कर देथे, जेखर ले आगु चलके जादा बड़े समसिया पइदा हो जाथे।
उदाहरन बर, अगर कोनो सामान्य मनखे हर अब्बड़ दूरिहा तक चलही अउ ओला कोनो चोट लग जाही, त ओला पीरा होही। अइसन म ओ हर या तो चले बर बंद कर देही या फेर खोरा-खोरा के चलही। लेकिन अगर कोढ़ ले परभावित मनखे ल घाव हो जाथे, त ओला कोनो पीरा नइ होवए, ओ हर तब तक चलत रही जब तक ओखर घाव फट नइ जाही या फेर ओ मेर सूजन नइ आ जाही। पीरा के बिना, घाव हर गहिरा जाथे अउ फेर हड्डी तक पहुंच जाथे। आगु चलके, हड्डी टूट सकत हे अउ गोड़ म विकृति हो सकत हे।
एखर अलावा, बीमारी के बाद के चरन म, मुंह, कान, कोहनी या फेर घुटना म गांठ हो सकत हे। कइझन के भंव घलोक खराब हो जाथे अउ दूसर अंग म ए बीमारी फइल सकत हे। एखर ले आगु चलके परभावित मनखे ल दिखाइ देना घलोक बंद हो सकत हे।
अगर आपमन ए बीमारी के सुरुआती लकछन ल पता लगा लेहु त तुरते इलाज-पानी सुरु कर सकत हव। अउ आगु होए वाले परसानी, जइसे परभावित अंग के सुन्न पड़ जान, हाथ-गोड़ के अंगरी ले हिलाए-डुलाए म परसानी होना जइसन समसिया ले बच सकत हव।
एखर अलावा, इलाज सुरु होए के कइ दिन बाद, ए बीमारी दूसर मनखे तक नइ फइलए। अगर आपमन सुरुआती लकछन के पता लगा लेथव अउ तुरते इलाज सुरु कर देथव त आपमन ल दूसर मन तक संकरमन फइले के संसो करे के जरुवत नइ हे।
अइसन म आपमन ले या फेर कोढ़ ले परभावित कोनो भी मनखे ले दूरिहा रहे के कोनो कारन नइ रही जाए।