अगर तुंहर अपन ससुरार वाले मन के संग अउ कोनो दूसर किसम के झगरा-लड़ई हे, त तुमन ल अपन घरवाला के सहायता लेना चाही। तुंहर ससुरार वाले मन, ओखर महतारी-बाप हें, अउ हर महतारी-बाप अपन लईका संग अब्बड़ मया करथें, एखर सेती ओमन तुंहर तुलना म ओखर बात ल जादा मानहीं।
अपन ससुरार वाले मन संग कोनो भी समसिया के हल बर उंखर सहायता अउ सहानभूति हासिल करना अब्बड़ जरूरी होथे। एखर बर नीचे कईठन बिधि बताए गे, जेखर ले तुमन ल मदद मिल सकत हे:
अपन घरवाला संग मदद मांगे के बेरा सांत रहिना चाही, रोवइ-धोवइ नइ करना चाही। ओला मया ले समझाना चाही, के तुमन ल कोन जिनिस हा परसान करत हे। अगर सुरू म ओ हर तुंहर बात ल नइ समझत हे त बार-बार परयास करना चाही। ओला समझावव के तुमन ल ओखर सहायता के जरूवत हे।
कोसिस करव के ओखर उपर घुंसियावव झन, या ओला अपमानित झन करव। अगर तुमन अइसन करहु त, ओ हर पहिली अपन बचाव सुरू कर दिही अउ तुंहर बात ल नइ सुनही। बने मनखे बनव, घुंसियाहा मनखे झन बनव। ओला अपन समसिया नइ, अपन समाधान बनावव। घरवाला के रूप म ओ हर तुंहर सभाविक सहयोगी हे, तुंहर बइरी नो हरे, एखरे सेती ओखर उपर दबाव झन डालव। ओला समझावव के तुमन ल ओखर मदद के जरूवत हे।
कईझन जुगलजोड़ी के बीच एकठन सहज समसिया, ए होथे के घरवाली हर अपन घरवाला ल ओखर महतारी-बाप संग अलग होए ल कहिथे। लेकिन कईझन पुरूस एखर ले सहमत नइ होवएं। काबर के, ओमन अपन महतारी-बाप के परति समरपित होथें। उंखर समरपन ल समझे के परयास करव अउ ओखर सम्मान करव, ओखर उपर सवाल झन उठावव। एखर बजाए, ओला अपन समसिया के बारे म समझाए के परयास करव। अउ कुछु बदले जा सकत हे त ओखर बर कोसिस करव, लेकिन अइसन कोसिस ले ओखर अपन महतारी-बाप के परति समरपन ल चुनउती झन देवव। हो सकत हे के एके घर म रहिके तुंहर समसिया के हल मिल जाए। एखर बावजूद तुंहर समसिया के हल नइ मिलत हे, त अपन घरवाला ल धिरकिन समझावव के तुंहर परति घलोक ओखर कुछु जिम्मेवारी बनथे।
अइसन कभु झन सोंचव के अपन घरवाला संग अपन चिंता अउ समसिया के बारे म गोठियाए ले तुमन अउ जादा विवाद पइदा करत हव। कोनो भी विवाहित जुगलजोड़ी मन बर एक दुसर ले गोठियाना अब्बड़ जरूरी होथे। गोठबात बंद होए ले स्थिति हर अउ जादा खराप हो सकत हे। हर बखत अपन भाउना ल अपन तक ले सीमित रखे ले तनाव अउ बढ़ सकत हे।
अइसन कभु झन सोंचव के तुंहर घरवाला हर तुंहर समसिया ल नइ समझही अउ ओखर संग एखर बारे म चरचा करना बेकार हे। अगर सुरू म ओ हर नइ समझत हे त तुमन ल धीर लगाके ओला समझाए के कोसिस करना चाही। पुरूस अउ महिला कई किसम ले अलग-अलग होथें। ओमन अलग-अलग तरीका ले सोंचथें, काम करथें अउ अकसर अलग-अलग बिचार रखथें। एखर सेती अपन समसिया ल अपन घरवाला ल समझाए के दउरान, तुमन ल धीरज धरना चाही।
ए बात म धियान देना चाही के तुंहर जिनगी म का जिनिस अच्छा हे अउ तुमन एला अउ बेहतर कइसे बना सकत हव। तुमन हमेसा कोनो-न-कोनो सकारात्मक बदलाव कर सकत हव। तुमन बेसहारा नइ हव।