मोला कोढ़ के रोग हो गे हे त अब मैं का कर सकत हवं?

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कोढ़ के रोग होए के बाद आपमन ल सरम, डर या फेर निरासा के अनुभव हो सकत हे। ए डर कइ परकार के हो सकत हे, जइसे बीमारी के, सरीर के नुकसान के या फेर इलाज के। एखर अलावा, आपमन ल अपन परिवार के बारे म, ओ मन ल संकरमित करे बारे म या फेर समाजिक जिनगी के बहिस्कार करे के भी डर हो सकत हे।


खासकर, नोनीमन या फेर माईलोगन ल जादा डर महसूस होथे। आदमीजात के तुलना म माईलोगन ल पढ़े-लिखे के जादा मउका नइ मिल पाए। अइसन म आपमन दूसर उपर आसरित महसूस कर सकत हव। आपमन ल ए बात के भी डर हो सकत हे के ए बीमारी के कारन आपमन के समाजिक मोल कम हो जाही अउ आपमन ल परिवार ले अलग-बिलग कर दे जाही, अउ आपमन के पास नउकरी पाए के अउसर कम हो जाही या फेर आपमन गरीब हो जाहु।


ए सबो भावना ल समझे जा सकत हे। लेकिन आजकल के दौर म अब्बड़ अकन अइसन दवइपानी हे जेखर ले कोढ़ के बीमारी के इलाज करे जा सकत हे। ए इलाज घरे म हो सकत हे अउ इलाज सुरु होए के थोड़क दिन बाद ए बीमारी के संकरमन नइ फइलए।


एखर सेती, अइसन मरीज ल परिवार या समाज ले बाहिर करे के कोनो कारन नइ होवए। साथे-साथ धार्मिक तिहार-बार या फेर दूसर समाजिक कामकाज ले भी बाहिर नइ करना चाही। तलाक दे के भी कोनो कारन नइ होवए। आपमन नियमित रुप ले अपन इस्कूल जा सकत हव या अपन कामकाज ल जारी रख सकत हव। आपमन समाज म अपन परिवार संग सांतिपूरक तरीका ले रहि सकत हव।

एखर संबंध न केवल कोढ़ के रोग ले हे, बल्कि ए बीमारी के कारन आपमन ल होए कोनो भी परकार के विकलांगता ले भी हे।


लेकिन सबले जरुरी बात ये हरे के आपमन अपन बीमारी ल झन छिपाहु। आपमन ल अपन परिवार ल एखर इलाज के बारे म बताना चाही अउ एहु बताना चाही कि दवइपानी करे के बाद ए बीमारी नइ फइलए। ए बीमारी के पूरा इलाज करवाना भी अब्बड़ जरुरी होथे, ताकि आपमन के सरीर म कोनो परकार के दुरबलता पइदा झन होवए। अगर आपमन गर्भवती हव या फेर लइका ल दूध पियावत हव त, इलाज सुरु करे के पहिली डाक्टर ल एखर बारे म बताना चाही, ओ हर एखर मुताबिक आपमन ल दवइ देही। आपमन ल पूरा इलाज करवाना चाही, काबर के ए हर आपमन अउ आपमन के लइका, दुनो बर सुरछित होही।


एखर अलावा, आपमन ल अपन सरीर अउ कोनो परकार के घाव के बने असन जतन करना चाही, जेखर ले आगु अउ जादा नुकसान झन होवए। ए सबो के बारे म जानकारी हासिल करे बर आपमन कोनो स्वास्थ्य कारकरता संग मिल सकत हव। एखर अलावा, स्वयं-सहायता समूह म भी आपमन ल मदद मिल सकत हे।

ए बीच, आपमन ल कइठन समसिया ल संभाले बर पड़ही। हो सकत हे के आपमन ल भेदभाव अउ समाजिक तिरिस्कार के घलो सामना कर बर पड़ जाए, जेखर ले आपमन के भीतर अउसाद, भारी संसो या आत्मघाती विचार पइदा हो सकत हे। अगर आपमन ए सबो ले पीड़ित हव त घबराहु झन, ए हर एक परकार के मानसिक स्थिति होथे, एखर ए मतलब नइ होवए के आपमन पगला गे हव। अइसन स्थिति म कइझन मन अइसने महसूस करथें। आपमन ल सहायता मिल सकत हे। अइसन कइठन स्वयं सहायता समूह होथे, जिहां आपमन अपन भावना के बारे म गोठिया सकत हव अउ अपन जइसे स्थिति वाले दूसर मनखे संग सहायता पा सकत हव। इहां आपमन अपन अधिकार के बारे म अउ उंखऱ उपयोग के बारे म जानकारी हासिल कर सकत हव। आपमन इहां अपन बारे म फइसला ले बर सीख सकत हव, अउ अपन जिनगी ल अपन मुताबिक जीना सीख सकत हव। एखर अलावा आपमन व्यक्तिगत सहायता तको ले सकत हव। किरपा करके, कोनो स्वास्थ्य कारकरता संग बात करव अउ मनोवैज्ञानिक सहायता मांगव।


Sources
  • Audiopedia ID: hne_54_9