दूसर मनखे के चारी-चुगरी करे के बजाए ओखर बात ल धियान लगा के सुने के परयास करना चाही।
ए समझे के कोसिस करना चाही कि दूसर मनखे कइसन महसूस करथे। अगर तुंहर मन के संग घलो वइसने होहे, जइसन ओखर संग, त ए समझना चाही तुमन ल कइसे महसूस होवत रिहिस। लेकिन दूसर के अनुभव ल, एकदमहे अपन अनुभव असन घलो नइ देखना चाही। काबर कोनो दु मनखे के अनुभव, एके असन नइ हो सकए। अइसन म अगर तुमन ओला नइ समझत हव त अइसन दिखावा झन करहु के तुमन सब समझत हव।
कोनो दूसर महिला ल ए नइ कहना चाही, तहूँ इही ल कर। एखर बजाए ओला समजा के ए बताना चाही के ओखर परिवार, जातसमाज अउ ओखर जिम्मेवारी, ओखर भाउना ल कइसे परभावित करथे। अउ ओला खुदे अपन फइसला ले बर परेरित करना चाही।
कभु अइसन नइ सोचना चाही कि कोनो महिला के मदद नइ करे जा सके।
कोनो महिला के व्यक्तिगत बात के सनमान करना चाही। अगर कोनो महिला तुंहर करा अपन व्यक्तिगत बात ल बताथे, त ओला दूसर करा तब तक नइ गोठियाना चाही, जब तक ए बात ओखर जिनगी के सुरकछा बर जरुरी नइ हो जाए।
कोनो नवा समूह बनाए के तुलना म, कोनो मौजूदा समूह ल सहायता समूह म बदलना आसान होथे। लेकिन मददगार रिस्ता चुने के बेरा थोरकिन सावधान रहिना घलो जरुरी हे। ओखरे मन संग रिस्ता बनाना चाही जेन मन तुंहर भाउना अउ निजता के सनमान करएं।